"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Tuesday, May 4, 2010

आप ही कहो,क्या सच है?

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औरतें भी इन्सान जैसी हो गईं है, माँ थीं वो, हैवान जैसी हो गईं हैं! निरुपमा ने ये शायद  सोचा नहीं था, आधुनिकता परिधान जैसी हो गई है। मा...
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Monday, April 26, 2010

नास्तिक होने का सच!

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आप किसी नास्तिक से मिले है कभी? मैं भी नहीं मिला,किसी सच्चे और प्योर हार्ड कोर नास्तिक से, जितने भी तथाकथित ’नास्तिक’,मुझे मिले, वे सब वो ...
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Thursday, March 4, 2010

कल्कि और कलियुग!

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बहुत सोचने पर भी ,समझ में तो नहीं आया, पर मानना पडा कि, काल कालान्तर से कुछ भी नहीं बदला, मानव के आचरण में, और न हीं देव और देव न...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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