"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Thursday, August 8, 2013

चाँद! ईद का!

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चाँद तो चाँद है, ईद का हो! दूज का  हो! हो पूनम का! या, चेहरा सनम का! चाँद तो चाँद है.    _कुश शर्मा. मगर ये भी याद रखना है ज़ुरूरी, ...
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Thursday, December 15, 2011

अपनी कहानी ,पानी की ज़ुबानी !

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एक अरसा हुया ये चन्द शब्द लिखे हुये, आज ऐसे ही "सच में" की रचनाओं की पसंदगी नापसंदगी देखने की कोशिश कर रहा था, इस रचना को सब से ...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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