"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Tuesday, August 16, 2011

वीराने का घर

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लोग बस गये जाकर  वीराने में, सूना घर हूँ मैं बस्ती में रह जाउँगा। तुम न आओगे चलों यूँ ही सही, याद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा। पी चुका...
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Saturday, February 26, 2011

मौसम-ए-गुल!

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मौसमें गुल है और हर तरफ़ खुमारी है, सरे आम क्या कहूँ,बात मेरी तुम्हारी है। गुलो ने पैगाम दिया है बसंत आने का, तितलियों ने फ़िज़ा की ...
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Monday, July 12, 2010

तितलियां और चमन!

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चमन में गुलों का नसीब होता है, जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है। कातिल अदा आपकी निराली है, हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं। एक अरसे से मो...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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