"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Saturday, October 2, 2010

पंचतत्रं और इकीसवीं सदी!

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एक बार की बात है! "’एक’ खरगोश ने ’एक’ कछुये से कहा!"...... ’पंचतंत्र’ की कथाओं में ऐसा पढा था, पर शायद, वो बीसवीं सदी की बा...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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