"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Sunday, March 27, 2011

"मुकम्मल सुकूँ"!

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चुन चुन के करता हूँ,  मैं तारीफ़ें अपने मकबरे की , मर गया हूँ? क्या करूं ! ख्वाहिशें नहीं मरतीं! गुज़रता हूँ,रोज़, सिम्ते गुलशन से, ...
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Saturday, February 5, 2011

तितलियों की बेवफ़ाई!

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कुछ और ही होता  चमन का नज़ारा  अगर, गुल ये जान जाते, तितलियाँ और भ्रमर, आते नहीं रंग-ओ-बू के लिये, मकरंद का रस है, उनके आने की वज...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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