"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Sunday, August 18, 2013

औरत और दरख्त!

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औरत और दरख्त में क्या फ़र्क है? मुझे नज़र नहीं आता, क्या मेरी बात पे आपको यकीं नहीं आता! तो गौर फ़रमाएं, मैं गर गलत हूँ! तो ज़ुरूर ब...
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Saturday, October 27, 2012

चाँद और तुम!

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अभी कुछ देर पहले. रात के पिछ्ले प्रहर चाँद उतर आया था, मेरे सूने दलान में, यूँ ही, मैंने तुम्हारा नाम लेकर  पुकार था, उसको , अच्छा लगा! उ...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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