"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Sunday, February 2, 2014

ज़िन्दगी!

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दर्द की चट्टान से रिसती, पानी की धार ज़िन्दगी, जून की दोपहर में, चढता बुखार ज़िन्दगी, जागी आँखों में, नींद का खुमार ज़िन्दगी, खुशी और ग़म की, ...
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Thursday, April 14, 2011

तकलीफ़-ए-रूह!(एक बात बहुत पुरानी!)

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चारागर मशरूफ़ थे ,ईलाज़े मरीज़े रूह में, बीमार पर जाता रहा ,तकलीफ़ उसको जिस्म की थी। बाद मरने के भी , कब्र में है बेचॆनी, वो खलिश अज़ीब...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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