"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Wednesday, November 20, 2013

ठहराव!

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कितना मुश्किल है, किसी भी इंसा के लिये, चलते चलते,रूक जाना खुद ब खुद! थक कर चूर, कुछ मुसलसल चलने वाले चाहते थे रूकना! कभी,छाँव न मि...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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