"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Sunday, April 26, 2009

एक बार फिर से पढें!

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हाथ में इबारतें , लकीरें थीं,  सावांरीं मेहनत से तो वो तकदीरें थी।    जानिबे मंज़िल -ए - झूंठ , मुझे भी जाना था ,   पाँव में सच ...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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