"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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शहर
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Thursday, December 9, 2010
श्श्श्श्श्श्श्श्श! किसी से न कहना!
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मैने सोच लिया है, अब सच के बारे में कोई बात नहीं करुंगा, खास तौर से मैं, अपने आपसे! वैसे भी! सोये हुये भिखारी के घाव पर, भिनभिनाती...
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Tuesday, November 30, 2010
’इश्क और तेज़ाब’
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सूर्य की किरणों से , क्लोरोफ़िल का शर्करा बनाना! शुद्ध प्राकृतिक क्रिया है, इस में कौन सा ज्ञान है, यह तो साधारण सा विज्ञान का सिद्धां...
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Tuesday, August 10, 2010
मर्दशुमारी!
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जनगणना में सुना है अब ज़ात पूछी जायेगी, इन्सान से हैवानियत की बात पूछी जायेगी! कर चुके हम हर तरह से अपने टुकडे, मुर्दों से अब उनकी औकात ...
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Wednesday, December 2, 2009
तीरगी का सच!
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Little late for anniversary of 26/11 notwithstanding रचना आप के सामने hai : इस तीरगी और दर्द से, कैसे लड़ेंगे हम, मौला तू ,रास्ता दिख...
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Saturday, July 11, 2009
जाने क्या?
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तमाम शहर रौशन हो, ये नही होगा, शमा जले अन्धेरे में ये मज़बूरी है. दर्द मज़लूम का न गर परेशान करे, ज़िन्दगी इंसान की अधूरी है. ज़रूरी काम छो...
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Friday, June 12, 2009
नज़दिकीयों का सच!(Part II)
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रास्ते में संग भी थे, खार थे, थी मुश्किलें. मैं मगर आगे न बढता, लाचारियां इतनी न थीं. शहर के पागल सजर में ढूंडता उसको कहां, उस अज़ी्जो आंशना...
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