"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

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Tuesday, December 8, 2009

कोपन्हेगन के संदर्भ में!

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मैने एक कोमल अंकुर से, मजबूत दरख्त होने तक का सफ़र तय किया है. जब मैं पौधा था, तो मेरी शाखों पे, परिन्दे घोंसला बना ,कर ज़िन्दगी को ...
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Monday, September 21, 2009

दरख्त का सच!

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मैने एक कोमल अंकुर से, मजबूत दरख्त होने तक का सफ़र तय किया है. जब मैं पौधा था, तो मेरी शाखों पे, परिन्दे घोंसला बना ,कर ज़िन्दगी को पर देते ...
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Friday, June 12, 2009

नज़दिकीयों का सच!(Part II)

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रास्ते में संग भी थे, खार थे, थी मुश्किलें. मैं मगर आगे न बढता, लाचारियां इतनी न थीं. शहर के पागल सजर में ढूंडता उसको कहां, उस अज़ी्जो आंशना...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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