जाने दो फ़िर बेवकूफ़ बनाओगे.
वख्त आने पे बरसात होती है,
ये बात तुम प्यासों को बताओगे.
मेरे ज़ख्मों को बे मरहम ही रहने दो,
ये खुले , तो तुम बिखर जाओगे.
बम धमाके में,वो ही क्यों मरा,
उसकी मां को ,ये कैसे समझाओगे.
मैने माना पढा दोगे, सारे अनपढों को
काबिल जो भूल गये है,सब,उन्हें क्या बताओगे.
क्या कहूँ शब्दहीन महसूस कर रहा हूँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने और शायद दुखी मन से लिखा है.
ReplyDeleteमेरे ज़ख्मों को बे मरहम ही रहने दो,
ReplyDeleteये खुले , तो तुम बिखर जाओगे...waqat har jakham bhar deta hai...marham se jara jaldi skoon aa jata hai...