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Sunday, July 16, 2017

आओ न!
नज़दीक!
नहीं !
न सही!
कम से कम,
ख्यालों मे!
न न!
ख्वाबों में नहीं !
जब से तुम गये, नींद आई ही नहीं।

Saturday, July 15, 2017

छलावा.

मैं प्यार नहीं करता,
तो ये कोई गुनाह तो नहीं,
मैं नफ़रत भी तो नहीं करता,
दरसल वो सब जो कहते हैं, के, वो प्यार करते हैं,
एक छलावे में रहते हैं,
मैं नहीं रहता,
वैसे सच कहूँ तो,
प्यार, गुनाह, नफ़रत,छलावा और "सच",
सब एक हसीन झूठ है।

चन्द मुख्तसर शेर

चन्द मुख्तसर शेर अपने सुधि पाठकों के लिये।
न मैं तेरे ख्याल जैसा हूँ,
न मैं मेरे सवाल जैसा हूँ,
न मैं तेरे चश्मे तर में हूँ,
न मैं किसी उदास नज़र में हूँ।
मैं हूँ ही नहीं,मुझे तलाश मत,
गर हूँ कहीं तो असर में हूँ!

असर = गुण/ तासीर
असर= बहुत ही आनन्दित

चटक जाता है बिखर जाता है, शीशे का है ये दिल,
क्या फर्क इस बिचारे को कौन था कातिल।

इस कदर वख्त ने घिसा है हमें ,
चमक तो आई,वज़न जाता रहा।

                 


Friday, April 28, 2017

बात बात में वो बात भूल गया
जो बात बताने के लिये
बात शुरू की थी,
क्या पता था,
बातों बातों मे वो बात भी आ जायेगी,
जिसे बताने से,
बात बिगड आयेगी ,
मगर,
गम इस बात का है,
कि वो बात जो बतानी थी,
मगर भूल गया,
वही बात
उन्हें बुरी लगी शायद!
क्यों कि,
"बातों बातों में कोई बात बुरी लगी हो शायद,
मेरा महबूब बिना बात के खफ़ा नहीं होता."

Monday, March 27, 2017

क्या है?
क्यूं है?

रंग है!
बू है!

ख्वाहिशें मिट गईं,
फ़िर भी आरज़ू है!

तीरगी मुकम्मल है,
रोशनी चार सू है।

मन्ज़िलें भटकतीं है,
किसकी ज़ुस्तज़ू है?

जाविदाँ तिश्नगी,
दर्द पुर सुकूं है।

दौलतें,रंजीद: दिल,
मुफ़लिसी बा वुज़ू है।