कुछ और ही होता
चमन का नज़ारा
अगर,
गुल ये जान जाते,
तितलियाँ और भ्रमर,
आते नहीं रंग-ओ-बू के लिये,
मकरंद का रस है,
उनके आने की वजह।
हाँ मगर,
यह छोटा सा मिलन भी,
स्वार्थ के कारण ही सही,
देके जाता है ,
चमन को ,
दास्ताँ हर बार एक नई।
और चलती है,
प्रकृति
सर्जन के,
इस बेदर्द वाकये,
के भरोसे!
फ़ूल का खिलना हो,
या भ्रमर का गुंजन,
जारी है निरंतर,
और,
चमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं
दास्तानो से!
फ़ूल का खिलना हो,
ReplyDeleteया भ्रमर का गुंजन,
जारी है निरंतर,
और,
चमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं
दास्तानो से!
bahut hi achhi rachna
is kavita mein jo metaphor hai vo bahut accha laga.
ReplyDelete.
.
.
shilpa
यहाँ जो कुछ भी होता है, बेसबब नहीं होता। भ्रमर और फ़ूल का मिलना भी नये सृजन की वजह है।
ReplyDeleteचमन गुलजार रहे यूं ही।
क्या बात है. भावों की गहराई क्या खूब.
ReplyDeletebahut hi gahrai se likhi ekbhavpurn kavita.
ReplyDeleteऔर,
चमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं
दास्तानो से!
bahut hi sahi vishleshhan
bahut khoob prastuti
poonam
यह छोटा सा मिलन भी,
ReplyDeleteस्वार्थ के कारण ही सही,
देके जाता है ,
चमन को ,
दास्ताँ हर बार एक नई।
jeevan main har milan ek nai dastan banata hai...chahe vo swarthvash ho ya doosare ke liye....dastayen banti rahti hain.!!bahut khoob....sundar rachna..!!
यह छोटा सा मिलन भी,
ReplyDeleteस्वार्थ के कारण ही सही,
देके जाता है ,
चमन को ,
दास्ताँ हर बार एक नई।
jeevan main har milan ek nai dastan banata hai...chahe vo swarthvash ho ya doosare ke liye....dastayen banti rahti hain.!!bahut khoob....sundar rachna..!!
beautiful lines..
ReplyDeleteवाह!,
ReplyDeleteमकरंद की तलाश में भ्रमर
या रस की तलाश में रसिक
चाहे कुछ भी हो जीवनचक्र यूँ ही चलता रहे, एक दिल्चस्प अंदाज में प्रस्तुति ने मन छू लिया।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
और,
ReplyDeleteचमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं
दास्तानो से!
बिल्कुल सही बात कहें आप ............. बहुत ही गहरा भाव लिये बेहतरीन कविता . सुंदर प्रस्तुति.
फ़ूल का खिलना हो,
ReplyDeleteया भ्रमर का गुंजन,
जारी है निरंतर,
और,
चमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं
दास्तानो से!
...बहुत खूबसूरत बिम्ब ....
Waah bahut khoob
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