माँ लक्ष्मी आपको कोटिश: नमन
और नमन के बाद,
खुली चुनौती है!
यदि आप ’सच में’
उस सत्य स्वरूप,
ईश्वर के प्रतिरूप
क्षीर सागर में शेषनाग पर शयन करते,
परम पूज्य, सदा स्मरणीय,
भक्त हृदय निवासी,
दीनानाथ,दीनबन्धु
के चरण कमलों की सदा सेवा का वरदान प्राप्त कर,
जगत जननी स्वरूपा हैं...
तो अबके बरस ,
झूंठ,पाखंड,कपट,छल,
और दम्भ से इतराती
महलों की अट्टालिकाओं से
प्रभु की अद्भुत रचना ’मानव’
के रचे खेल देखने की बजाय,
किसी भूखे मेहेनती,
या सच्चे जरूरती के झोपडें मे जाना ज़रूर,
क्यों कि उसकी आस्था,
उसकी गरीबी की पीडा की सीमायें लाँघ कर भी,
उसे आपकी आराधना को विवश करतीं हैं ,
माँ, कम से इतना तो हो ही सकता है,
"हैप्पी दिपावली" के अवसर पर!
यदि इस बार भी ऐसा न हुआ तो,
कलयुग फ़िर अट्टहास करते हुये,
ईश्वरीय आस्था के ह्रास का उद्घघोष कर देगा,
और अंधेरा , राम के पुनरागमन के बावजूद,
इस धरा पर अपने साम्राज्य के स्थाई होने का
ऐलान कर मुस्कुरायेगा!
माँ, लक्ष्मी छोटी बात है, आपके लिये,
और मैंने कौन सी BMW माँग ली अपने लिये,
या मेरी पत्नी कोई,
तनिष्क के चार कंगन मिलने के बाद भी,
सिर्फ़ एक और Diamond Ring की ख्वाहिश कर रही है...
और नमन के बाद,
खुली चुनौती है!
यदि आप ’सच में’
उस सत्य स्वरूप,
ईश्वर के प्रतिरूप
क्षीर सागर में शेषनाग पर शयन करते,
परम पूज्य, सदा स्मरणीय,
भक्त हृदय निवासी,
दीनानाथ,दीनबन्धु
के चरण कमलों की सदा सेवा का वरदान प्राप्त कर,
जगत जननी स्वरूपा हैं...
तो अबके बरस ,
झूंठ,पाखंड,कपट,छल,
और दम्भ से इतराती
महलों की अट्टालिकाओं से
प्रभु की अद्भुत रचना ’मानव’
के रचे खेल देखने की बजाय,
किसी भूखे मेहेनती,
या सच्चे जरूरती के झोपडें मे जाना ज़रूर,
क्यों कि उसकी आस्था,
उसकी गरीबी की पीडा की सीमायें लाँघ कर भी,
उसे आपकी आराधना को विवश करतीं हैं ,
माँ, कम से इतना तो हो ही सकता है,
"हैप्पी दिपावली" के अवसर पर!
यदि इस बार भी ऐसा न हुआ तो,
कलयुग फ़िर अट्टहास करते हुये,
ईश्वरीय आस्था के ह्रास का उद्घघोष कर देगा,
और अंधेरा , राम के पुनरागमन के बावजूद,
इस धरा पर अपने साम्राज्य के स्थाई होने का
ऐलान कर मुस्कुरायेगा!
माँ, लक्ष्मी छोटी बात है, आपके लिये,
और मैंने कौन सी BMW माँग ली अपने लिये,
या मेरी पत्नी कोई,
तनिष्क के चार कंगन मिलने के बाद भी,
सिर्फ़ एक और Diamond Ring की ख्वाहिश कर रही है...
यदि इस बार भी ऐसा न हुआ तो,
ReplyDeleteकलयुग फ़िर अट्टहास करते हुये,
ईश्वरीय आस्था के ह्रास का उद्घघोष कर देगा,
और अंधेरा , राम के पुनरागमन के बावजूद,
इस धरा पर अपने साम्राज्य के स्थाई होने का
ऐलान कर मुस्कुरायेगा!
माँ, लक्ष्मी छोटी बात है, आपके लिये,
और मैंने कौन सी BMW माँग ली अपने लिये,
या मेरी पत्नी कोई,
तनिष्क के चार कंगन मिलने के बाद भी,
सिर्फ़ एक और Diamond Ring की ख्वाहिश कर रही है...
chhoti per arthpurn badee shart ... sona nahi na sahi ... happy diwali
भूख और मेहनत की जंग हमेशा चलती रही है और चलती रहेगी, वैसे ही जैसे रोशनी और अंधेरा सदा से रहे हैं।
ReplyDeleteआपकी कामना सच हो, यही हमारी कामना है कुश भाई।
सपरिवार आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
सार्थक रचना. बहुत खूबसूरत.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक बधाई..
बहुत सार्थक रचना ..
ReplyDeleteआपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
चर्चा मंच परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआइए आप भी हमारे साथ आज के चर्चा मंच पर दीपावली मनाइए!
सुन्दर प्रार्थना है...
ReplyDeleteमाँ लक्ष्मी ऐसा ही करें और अन्धकार समाप्त हो!
शुभ दीपावली!
आपको गोवर्धन अथवा अन्नकूट पर्व की हार्दिक मंगल कामनाएं,
ReplyDeleteदिवाली के ही दिन नहीं ... सारा साल ऐसा चिंतन चलता रहना चाहिए ...
ReplyDeleteदीपावली की मंगल कामनाएं ..
किसी भूखे मेहेनती,
ReplyDeleteया सच्चे जरूरती के झोपडें मे जाना ज़रूर,
माँ, कम से इतना तो हो ही सकता है,
"हैप्पी दिपावली" के अवसर पर!
ऐसी कामना ही sacchi दीपावली है ....
किसी भूखे मेहेनती,
ReplyDeleteया सच्चे जरूरती के झोपडें मे जाना ज़रूर,
माँ, कम से इतना तो हो ही सकता है,
"हैप्पी दिपावली" के अवसर पर!
ऐसी कामना ही sacchi दीपावली है ....
"वटवृक्ष" पर आप सबने कहा:-
ReplyDeleteपत्रकार-अख्तर खान "अकेला" said...
dipaavli shubh ho .akhtar khan akela kota rajsthan
October 26, 2011 11:00 AM
mridula pradhan said...
bejod likha hai.......wah.
October 26, 2011 11:24 AM
यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) said...
वाह सर!
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
दीप पर्व आप सभी को मंगलमय हो!
सादर
October 26, 2011 11:44 AM
Maheshwari kaneri said...
बहुत सुन्दर.. दीपों के इस पावन पर्व पर आपको भी हार्दिक शुभकामनायें।
October 26, 2011 1:17 PM
kase kahun?by kavita verma said...
maa laxmi aapki arz sun le yahi kamna hai...happy deepawali.
October 26, 2011 2:00 PM
devendra pandey said...
सुंदर भाव को नमन।
वैसे भगवान कुछ नहीं करता। न गरीब करता है न धनवान बनाता है। भगवान को हाजिर नाजिर जान कर जो करता है भक्त ही करता है।
बम, पटाखा और आतिशबाजी धरती माँ को पीड़ा पहुँचाती है। इसका इस्तेमाल हर्गिज न करें।
माटी के तन में
सासों की बाती
नेह का साथ ही
अपनी हो थाती
दरिद्दर विचारों का पहले भगायें
आओ चलो हम दिवाली मनायें।
...दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं।
October 26, 2011 2:21 PM
गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...
रश्मि जी आपकी माँगें अच्छी लगीं । जरूर पूरी होनी चाहिये । आपको दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं ।
October 26, 2011 2:33 PM
महेन्द्र श्रीवास्तव said...
बहुत सुंदर
क्या कहने
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं
October 26, 2011 2:45 PM
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
बहुत सुन्दर रचना...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
October 26, 2011 4:09 PM
संगीता पुरी said...
वाह ..
.. आपको दीपपर्व की असीम शुभकामनाएं !!
October 26, 2011 11:22 PM
कुश्वंश said...
बहुत सुन्दर...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
October 27, 2011 12:41 AM
बहुत सुन्दर भाव है।
ReplyDeleteकिसी भूखे मेहनती के घर जाना जरुर माँ ...
ReplyDeleteदुआ क़ुबूल हो !
यदि इस बार भी ऐसा न हुआ तो,
ReplyDeleteकलयुग फ़िर अट्टहास करते हुये,
ईश्वरीय आस्था के ह्रास का उद्घघोष कर देगा,
और अंधेरा , राम के पुनरागमन के बावजूद,
इस धरा पर अपने साम्राज्य के स्थाई होने का
ऐलान कर मुस्कुरायेगा!
utkrusht rachna !!
mata lakshmi aap ki prarthna avashy sunengi balki unhon ne suni bhi hogi ho sakta hai ham logon tak wo samachar n pahuncha ho
aap ke in pavitr - paawan vicharon ke liye badhai !!
ap ki dua men ham ap ke sath hain
* Respected Sir k the Leo *
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
संभवतः पहली बार पहुंचा हूं आपके यहां … अच्छा लगा ।
प्रस्तुत कविता सहित आपकी पिछली प्रविष्टियां भी प्रभावित करती हैं …
किसी भूखे मेहनती,
या सच्चे जरूरती के झोपडें मे जाना ज़रूर,
क्यों कि उसकी आस्था,
उसकी गरीबी की पीडा सीमाएं लांघ कर भी,
उसे आपकी आराधना को विवश करतीं हैं ,
मां, कम से इतना तो हो ही सकता है,
"हैप्पी दिपावली" के अवसर पर!
वाह वाऽऽह्… !
सच में ! पर आ'कर सच में बहुत अच्छा लगा … :)
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Bahut sundar rachna hai.
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