औरत और दरख्त में क्या फ़र्क है?
मुझे नज़र नहीं आता,
क्या मेरी बात पे
आपको यकीं नहीं आता!
तो गौर फ़रमाएं,
मैं गर गलत हूँ!
तो ज़ुरूर बतायें
दोनों दिन में खाना बनाते हैं
एक ’क्लोरोफ़िल’ से,
और दूसरी
गर कुछ पकाने को न हो,
तो सिर्फ़ ’दिल’ से!
एक रात को CO2 से साँस बनाये है,
दूसरी हर साँस से आस लगाये है,
पेड की ही तरह ,
औरत मिल जायेगी,
हर जगह,
खेत में, खलिहान में,
घर में, दलान में,
बस्ती में,श्मशान में,
हाट में, दुकान में,
और तो और वहाँ भी,
जहाँ कॊई पेड नहीं होता,
’ज़िन्दा गोश्त’ की दुकान में!
अब क्या ज़ुरूरी नहीं दोनों को बचाना?
मुझे नज़र नहीं आता,
क्या मेरी बात पे
आपको यकीं नहीं आता!
तो गौर फ़रमाएं,
मैं गर गलत हूँ!
तो ज़ुरूर बतायें
दोनों दिन में खाना बनाते हैं
एक ’क्लोरोफ़िल’ से,
और दूसरी
गर कुछ पकाने को न हो,
तो सिर्फ़ ’दिल’ से!
एक रात को CO2 से साँस बनाये है,
दूसरी हर साँस से आस लगाये है,
पेड की ही तरह ,
औरत मिल जायेगी,
हर जगह,
खेत में, खलिहान में,
घर में, दलान में,
बस्ती में,श्मशान में,
हाट में, दुकान में,
और तो और वहाँ भी,
जहाँ कॊई पेड नहीं होता,
’ज़िन्दा गोश्त’ की दुकान में!
अब क्या ज़ुरूरी नहीं दोनों को बचाना?
बिल्कुल जरूरी है साहब, दोनों से ही तो जीवन है। और हाँ, नमस्ते :)
ReplyDeleteसंजय भाई! शुक्रिया! और इस बार सिर्फ़ ’नमस्ते’ नहीं,
Deleteसलाम नमस्ते !
क्या साम्य स्थापित किया है कविता ने दोनों के बीच!
ReplyDeleteवाह !
अनुपमा जी आपका दिल से शुक्रिया!
Deleteबहुत ही सुंदर सार्थक और प्रस्तुती, आभार।
ReplyDeleteराजेन्द्र जी,
Deleteधन्यवाद आपकी हौसला अफ़ज़ाई माइने रखती है!
आज काफी दिनों के बाद इस ब्लॉग पर आया हूँ, शायद इसकी फीड मिस हो गयी हो गयी थी... देर आये दुरुस्त आये और क्या बढ़िया पढने को मिला है कुछ... वाह....
ReplyDeleteशुक्रिया शेखर साहिब,
DeleteYou said it all,देर आयद ,दुरुस्त आयद! :-)
जरूरी तो दोनों को ही बचाना है ... एक नहीं तो श्रृष्टि नहीं दूजी नहीं तो हम भी नहीं ....
ReplyDeleteसही कहा, आपने! शुक्रिया, दिगम्बर भाई।
Deleteपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (27) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !