Monday, November 14, 2022

वो क़तरा जो लहू बन के  सरकता है,

वो जो गीत धड़कनों में लरजता है,


घडी के काँटों में जो वख़्त बनके खटकता है,

नका़ब बनके जो रूखसार से सरकता है,


घनक बन के कभी बादलों में उभरता है,

बयार बने के कभी,दहलीज़ से गुज़रता है,


अश्क बन जाता है और आँख से छलकता है,

याद बन के कभी फाँस सा खटकता है,


बन के हिचकी कभी हलक़ में अटकता है,

जिस्म बन के कभी पहलू में महकता है,


ख्याब बन के कभी नींद में मटकता है,

बूंद बन के जो कभी जुल्फ से झटकता है,


एक आवारा सा तेरे कूचे में भटकता है,

इश्क है, इश्क है इश्क है।© 2018

किनारे समुन्दर के भरा रेत मुठ्ठी से जो सरकता है,

इश्क है,इश्क है, इश्क ही है। _अभी अभी (2022)

Thursday, November 3, 2022

प्रेम!

 बिन चराग का उजाला है प्रेम,

इथोपिआ में ब्रैड का निवाला है प्रेम,

सूफ़ी के लिये दोहा,मयकश के लिये प्याला

जिसे यकीं है उसका मक्का और शिवाला है प्रेम,

प्रेम को भला बताओ परिभाषित क्यों करना,

अद्भुत है ईश्वर की तरह निराला है प्रेम!

©2011

Monday, October 17, 2022

एक दिन

खुद से छिप कर ऐसा करना एक दिन,

मुझसे छिप कर मुझसे मिलना एक दिन!


सच की उस चिलमन से निकलना एक दिन,

संग मेरे गलियों में भटकना एक दिन!


मैं चला जाऊं भी अगर इस बज़्म से,

तुम मुझे फिर से बुलाना एक दिन।


याद मेरी आये तुमको के नहीं,

तुम मेरे ख्वाबों मे आना एक दिन।


शिकवे कुछ सच्चे से और कुछ झूठ भी,

खूब करना और रुलाना एक दिन।


डूबता सूरज हो और मद्धम रोशनी,

नदिया किनारे मिलने आना एक दिन। 

_कुश शर्मा

Saturday, October 15, 2022

काजल तुम्हारा,

 काश काजल तुम्हारा,

चाँद की रोशनी को कम कर पाता,

एक दिन तो,

मैं भी ख्वाब

आँखों में सजाना चाहता हूँ!

नींद आने के लिये,

एक दिन तो मिले,

जब रोशनी मेरी पुतलियों को,

जलाये न!