"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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जंज़ीरें
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Thursday, February 11, 2010
इंसान होने की सजा!
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मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन. कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन. दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है, कमज़ोरियों ...
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Sunday, April 26, 2009
एक बार फिर से पढें!
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हाथ में इबारतें , लकीरें थीं, सावांरीं मेहनत से तो वो तकदीरें थी। जानिबे मंज़िल -ए - झूंठ , मुझे भी जाना था , पाँव में सच ...
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