"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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नींद
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Friday, May 14, 2010
’छ्ज्जा और मुन्डेर’
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कई बार शैतान बच्चे की तरह हकीकत को गुलेल बना कर उडा देता हूं, तेरी यादों के परिंद अपने ज़ेहन की, मुन्डेरो से, पर हर बार एक नये झ...
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Wednesday, May 27, 2009
मृत्यु का सच!
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मर के भी कब्र में क्यों है बेचैनी, वो खलिश अज़ीब किस्म की थी. चारागर मशरूफ़ थे ईलाज-ए- मरीज-ए- रुह में, बीमार पर जाता रहा तकलीफ़ उसको को ज...
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