"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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मन
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Sunday, December 1, 2013
इश्क एक हादसा
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"इश्क एक हादसा! एक दम वैसा ही, जैसे, मन के शीशे को, बेचैनी के पत्थर से, किरच किरच में ,पसार देना, और फ़िर, लहू लुहान हथेलियों को...
Thursday, February 23, 2012
सजा इंसान होने की !
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मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन. कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन. दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है, कमज़ोरिय...
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Friday, September 16, 2011
मन इंसान का!
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मन इंसान का, अपना कभी पराया है, मन ही है जिसने इंसान को हराया है, मन में आ जाये तो, राम बन जाये तू, मन की मर्ज़ी ने ही तो, रावण...
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Saturday, February 26, 2011
मौसम-ए-गुल!
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मौसमें गुल है और हर तरफ़ खुमारी है, सरे आम क्या कहूँ,बात मेरी तुम्हारी है। गुलो ने पैगाम दिया है बसंत आने का, तितलियों ने फ़िज़ा की ...
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Thursday, January 6, 2011
तमन्ना
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ज़ख्म मेरा गुलाब हो जाये, अँधेरा माहताब हो जाये, कैसी कैसी तमन्नायें हैं मेरी, ये जहाँ बस्ती-ए-ख्वाब हो जाये। तू कभी मुझको आके ऎसे मिल...
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Saturday, December 25, 2010
मानवीय विवशतायें !
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विवशतायें! मौन और संवाद की, विवशतायें, हर्ष और अवसाद की, विवशताये, विवेक और प्रमाद की, विवशतायें, रुदन और आल्हाद की, विवशताये...
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