"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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मसीहा
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मसीहा
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Thursday, February 23, 2012
सजा इंसान होने की !
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मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन. कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन. दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है, कमज़ोरिय...
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Thursday, January 6, 2011
तमन्ना
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ज़ख्म मेरा गुलाब हो जाये, अँधेरा माहताब हो जाये, कैसी कैसी तमन्नायें हैं मेरी, ये जहाँ बस्ती-ए-ख्वाब हो जाये। तू कभी मुझको आके ऎसे मिल...
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Thursday, August 5, 2010
द्स्तूर!
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दस्तूर ये कि लोग सिर्फ़ नाम के दीवाने है, और बुज़ुर्गों ने कहा के नाम में क्या रखा है! लिफ़ाफ़ा देखकर औकात समझो हुज़ुर, बात सब एक है प...
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Sunday, January 25, 2009
दर्द की मिक़दार
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मौला, ना कर मेरी हर मुराद तू पूरी, जहाँ से दर्द की मिक़दार क़म हो, ये करना होगा. मसीहा कौन है ,और कौन यहाँ रह्बर है, हर इंसान को इस राह पे, ...
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