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Saturday, February 5, 2011

तितलियों की बेवफ़ाई!



कुछ और ही होता 
चमन का नज़ारा 
अगर,
गुल ये जान जाते,


तितलियाँ और भ्रमर,
आते नहीं रंग-ओ-बू के लिये,
मकरंद का रस है,
उनके आने की वजह।

हाँ मगर,
यह छोटा सा मिलन भी,
स्वार्थ के कारण ही सही,
देके जाता है ,
चमन को ,
दास्ताँ हर बार एक नई।

और चलती है,
प्रकृति 
सर्जन के,
इस बेदर्द वाकये,
के भरोसे!

फ़ूल का खिलना हो,
या भ्रमर का गुंजन,
जारी है निरंतर,

और, 
चमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं 
दास्तानो से! 




12 comments:

  1. फ़ूल का खिलना हो,
    या भ्रमर का गुंजन,
    जारी है निरंतर,

    और,
    चमन गुलज़ार है,
    दर्द से भरी
    पर हसीं
    दास्तानो से!
    bahut hi achhi rachna

    ReplyDelete
  2. is kavita mein jo metaphor hai vo bahut accha laga.
    .
    .
    .
    shilpa

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  3. यहाँ जो कुछ भी होता है, बेसबब नहीं होता। भ्रमर और फ़ूल का मिलना भी नये सृजन की वजह है।
    चमन गुलजार रहे यूं ही।

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  4. क्या बात है. भावों की गहराई क्या खूब.

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  5. bahut hi gahrai se likhi ekbhavpurn kavita.

    और,
    चमन गुलज़ार है,
    दर्द से भरी
    पर हसीं
    दास्तानो से!
    bahut hi sahi vishleshhan
    bahut khoob prastuti
    poonam

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  6. यह छोटा सा मिलन भी,
    स्वार्थ के कारण ही सही,
    देके जाता है ,
    चमन को ,
    दास्ताँ हर बार एक नई।

    jeevan main har milan ek nai dastan banata hai...chahe vo swarthvash ho ya doosare ke liye....dastayen banti rahti hain.!!bahut khoob....sundar rachna..!!

    ReplyDelete
  7. यह छोटा सा मिलन भी,
    स्वार्थ के कारण ही सही,
    देके जाता है ,
    चमन को ,
    दास्ताँ हर बार एक नई।

    jeevan main har milan ek nai dastan banata hai...chahe vo swarthvash ho ya doosare ke liye....dastayen banti rahti hain.!!bahut khoob....sundar rachna..!!

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  8. वाह!,

    मकरंद की तलाश में भ्रमर
    या रस की तलाश में रसिक

    चाहे कुछ भी हो जीवनचक्र यूँ ही चलता रहे, एक दिल्चस्प अंदाज में प्रस्तुति ने मन छू लिया।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  9. और,
    चमन गुलज़ार है,
    दर्द से भरी
    पर हसीं
    दास्तानो से!
    बिल्कुल सही बात कहें आप ............. बहुत ही गहरा भाव लिये बेहतरीन कविता . सुंदर प्रस्तुति.

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  10. फ़ूल का खिलना हो,
    या भ्रमर का गुंजन,
    जारी है निरंतर,

    और,
    चमन गुलज़ार है,
    दर्द से भरी
    पर हसीं
    दास्तानो से!
    ...बहुत खूबसूरत बिम्ब ....

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