"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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घर
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Tuesday, August 16, 2011
वीराने का घर
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लोग बस गये जाकर वीराने में, सूना घर हूँ मैं बस्ती में रह जाउँगा। तुम न आओगे चलों यूँ ही सही, याद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा। पी चुका...
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Wednesday, July 14, 2010
वो लम्बी गली का सफ़र!
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मैं हैरान हूं, ये सोच के कि आखिर तुम्हें पता कैसे चला कि, मैं तुमसे मोहबब्त करता था! तुम्हारी सहेलियां तो मुझे जानती तक नहीं, म...
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Wednesday, June 23, 2010
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ज़िन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं, चलो हम अपने शिकवे रहने देते है। सच और झूंठ का फ़र्क तो फ़िर होगा, दोस्तों को उनकी बात कहने देते है...
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Thursday, April 15, 2010
घर और वफ़ा!
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मोहब्बतों से घरों को दुआयें मिलतीं हैं, जो सच्चे लोग हैं उनको वफ़ायें मिलतीं है| दर्द मिलने पे भी मुस्कुरा कर देखो! रोने वालो को कडवी दव...
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