"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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दरख्त
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Sunday, August 18, 2013
औरत और दरख्त!
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औरत और दरख्त में क्या फ़र्क है? मुझे नज़र नहीं आता, क्या मेरी बात पे आपको यकीं नहीं आता! तो गौर फ़रमाएं, मैं गर गलत हूँ! तो ज़ुरूर ब...
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Tuesday, July 5, 2011
"पेड या ताबूत"
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आपको याद है न, वो पेड! नहीं! बरगद का नहीं! अरे! वो! जो आप सब के साथ, जवाँ हुआ था, अरे वो ही! जो पौधे से वृक्ष बनने की कथा, ...
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Thursday, June 10, 2010
पेड! "बरगद" का!
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आपने बरगद देखा है,कभी! जी हां, ’बरगद’, बरर्गर नहीं, ’ब र ग द’ का पेड! माफ़ करें, आजकल शहरों में, पेड ही नहीं होते, बरगद की बात ...
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Monday, September 21, 2009
दरख्त का सच!
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मैने एक कोमल अंकुर से, मजबूत दरख्त होने तक का सफ़र तय किया है. जब मैं पौधा था, तो मेरी शाखों पे, परिन्दे घोंसला बना ,कर ज़िन्दगी को पर देते ...
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