"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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मेहरबानियां
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मेहरबानियां
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Saturday, May 7, 2011
मै और मेरी तिश्नगी!
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मेरी तिश्नगी ने मुझको ऐसा सिला दिया है, बरसात की बूँदों ने ,मेरा घर जला दिया है। मैने जब भी कभी चाहा, मेरी नींद संवर जाये, ख्वाबों ...
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Friday, May 7, 2010
प्राइस टैग!
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अच्छा लगता है, टूट कर, बिखर जाना, बशर्ते, कोई तो हो जो, सहम कर, हर टुकडा उठा कर दामन में रख ले. कीमती समझ कर! पर, अकसर द...
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Monday, July 6, 2009
नज़दीकियों का सच!
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इस रचना को जो तव्वजो मिलनी चाहिये थी, शायद नहीं मिली,इस लिये एक बार फ़िर से post कर रहा हूं. दूरियां खुद कह रही थीं, नज़दीकियां इतनी न थी। अ...
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Tuesday, June 9, 2009
नज़दीकियों का सच!
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दूरियां खुद कह रही थीं, नज़दीकियां इतनी न थी। अहसासे ताल्लुकात में, बारीकियां इतनी न थीं। चारागर हैरान क्यों है, हाले दिले खराब पर। बीमार-...
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