"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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पानी
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पानी
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Thursday, December 15, 2011
अपनी कहानी ,पानी की ज़ुबानी !
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एक अरसा हुया ये चन्द शब्द लिखे हुये, आज ऐसे ही "सच में" की रचनाओं की पसंदगी नापसंदगी देखने की कोशिश कर रहा था, इस रचना को सब से ...
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Thursday, November 4, 2010
गंगा!! कौन?
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हरि पुत्री बन कर तू उतरी माँ गंगा कहलाई, पाप नाशनी,जीवन दायनी जै हो गंगा माई! भागीरथी,अलकनंदा,हैं नाम तुम्हारे प्यारे, हरिद्वार मे...
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Friday, July 9, 2010
सच बरसात का!
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फ़लक पे झूम रही सांवली घटायें हैं, बदलियां हैं या, ज़ुल्फ़ की अदायें हैं। बुला रहा है उस पार कोई नदिया के, एक कशिश है या, यार की सदायें...
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Monday, March 22, 2010
तलाश खुद अपनी!
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इन्तेहा-ए-उम्मीदे-वफ़ा क्या खूब! जागी आंखों ने सपने सजा लिये। मौत की बेरुखी, सज़र-ए-इन्सानियत में, अधमरे लोग हैं,गिद्दों ने पर फ़ैला ...
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