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Saturday, July 26, 2025

बस यूंही जरा बात सच की!

 कोई जिन्दा मिले ,

तो बताऊं न!

डर कितना , बडा झूठ है!

पर तुम सब तो ,

लडे ही नहीं,

डर से डर गये,

और मर गये!

अब सत्य की शाश्वत शक्ति,

मुर्दे तो नहीं समझ सकते न!

इस लिये, तुम सब जो,

बुद्धिजीवी होने का दावा करते हो,

चीखो, और इससे पहले, कि

सब सच की राह ढूंढ़ने वाले,

झूठ का अंधेरा देख कर,

डर से या अज्ञान से मुर्दा  हो जायें,

सत्य को स्वीकार करो,बताओ, 

और तब तक चीखो जब तक,

सत्य! 

 करोड़ों बार बोले गये झूठ पर विजय न पा ले,

और तब छंट जायेगा ,

 असत्य का वह तिमिर,

जिसने हमारी जीवन्त समझ को छीन कर,

हमें बना दिया है, 

या तो शव अन्यथा,

मृत्यप्राय श्मशान वासी। ©2023 _कुश शर्मा

8 comments:

  1. Replies
    1. आभार आप आये, और आपको मेरे साधारण शब्द भाए।

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  2. वाह! बहुत खूब ...

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    1. धन्यवाद, आपको। मेरे ब्लौग पर आने और टिप्पणी करने का कष्ट करने के लिए।

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  3. बेहतरीन पंक्तियाँ

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  4. आभार, आते रहें और स्नेह बनाए रखें।

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.