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Saturday, July 15, 2017

चन्द मुख्तसर शेर

चन्द मुख्तसर शेर अपने सुधि पाठकों के लिये।
न मैं तेरे ख्याल जैसा हूँ,
न मैं मेरे सवाल जैसा हूँ,
न मैं तेरे चश्मे तर में हूँ,
न मैं किसी उदास नज़र में हूँ।
मैं हूँ ही नहीं,मुझे तलाश मत,
गर हूँ कहीं तो असर में हूँ!

असर = गुण/ तासीर
असर= बहुत ही आनन्दित

चटक जाता है बिखर जाता है, शीशे का है ये दिल,
क्या फर्क इस बिचारे को कौन था कातिल।

इस कदर वख्त ने घिसा है हमें ,
चमक तो आई,वज़न जाता रहा।