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Tuesday, June 26, 2012

आज का अर्थशास्त्र!


झूँठ बोलें,सच छुपायें,
आओ चलो पैसे कमायें!

दिल को तोडें,दर्द दें,
सच से हम नज़रें बचायें

आऒ चलो पैसे कमायें!

भूखे नंगो को चलो,
सपने दिखायें,

आऒ चलो पैसे कमायें!

मौत बाँटें,औरतों के
जिस्म टीवी पर दिखायें,

आऒ चलो पैसे कमायें!

लडकियों को कोख में मारे,
गरीबो को सतायें,

आऒ चलो पैसे कमायें!

किसने देखी है कयामत,
आये न आये,
मिल के धरती को चलो
जन्नत बनायें,

आऒ चलो पैसे कमायें!

देश उसकी अस्मिता,
सुरक्षा को फ़िर देख लेंगें
मौका सुनहरी है,
अभी इसको भुनायें,

आऒ चलो पैसे कमायें!

खुद निरक्षर,
मगर ज्ञान छाटें,
डिग्रियाँ बाँटें, बच्चों को भरमायें

आओ चलो पैसे कमायें


18 comments:

  1. नेकी और पूछ पूछ? चलो जी, कित्थे चलना है? :)

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    1. भाई चलना कित्थे है? सिर्फ़ अपनी आत्मा का कत्ल करना पडेगा और नोटों की ढेरी पे सोने की आदत डालनी पडेगी!

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  2. आज के अर्थशास्त्र का सही आकलन

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  3. इस कडुवे अर्थशास्त्र कों हूबहू लिखा है ...
    इंसान दरिंदा ... अब कोई ज्यादा फर्क नहीं रह गया ...

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  4. सशक्‍त भाव लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ..आभार

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  5. काश! कोई ना पढ़ पाए इस तरह का अर्थशास्त्र...और जो पढें फेल हो जाएँ.....

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    1. मैं ने भी इसी लिये लिखा है कि कोई न पढे ये काली विद्या!

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  6. क्या बात हैं जी .......सटीक लेखन

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    1. बात आप तक पँहुची शुक्रिया!

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  7. Replies
    1. पसंद करने के लिये आप का शुक्रिया!

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  8. deeper and deeper insight toward social economy of life,nice presentation with inner feelings

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