बिखर तो मैं जाऊं मानिन्द-ए-फूल मगर,
कोई ऐसा भी हो जो चुन लाये मुझको ।
कोई ऐसा भी हो जो चुन लाये मुझको ।
गुज़रता जा रहा हूँ,बेवफा लम्हों की तरह,
कोई तो रोके, ज़रा पास बिठाये मुझको।
कोई तो रोके, ज़रा पास बिठाये मुझको।
मेरी भी दास्ताँ कहाँ जुदा है तेरे फसाने से,
कोई तो बोले कभी, कोई बताये मुझको ।
कोई तो बोले कभी, कोई बताये मुझको ।
झटक ही दे मानिन्द-ए-आब-ए-जुल्फ सही,
बनाके अश्क कोइ पलकों पे सजाये मुझको|
बनाके अश्क कोइ पलकों पे सजाये मुझको|