काश काजल तुम्हारा,
चाँद की रोशनी को कम कर पाता,
एक दिन तो,
मैं भी ख्वाब
आँखों में सजाना चाहता हूँ!
नींद आने के लिये,
एक दिन तो मिले,
जब रोशनी मेरी पुतलियों को,
जलाये न!
काश काजल तुम्हारा,
चाँद की रोशनी को कम कर पाता,
एक दिन तो,
मैं भी ख्वाब
आँखों में सजाना चाहता हूँ!
नींद आने के लिये,
एक दिन तो मिले,
जब रोशनी मेरी पुतलियों को,
जलाये न!