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Monday, October 17, 2022

एक दिन

खुद से छिप कर ऐसा करना एक दिन,

मुझसे छिप कर मुझसे मिलना एक दिन!


सच की उस चिलमन से निकलना एक दिन,

संग मेरे गलियों में भटकना एक दिन!


मैं चला जाऊं भी अगर इस बज़्म से,

तुम मुझे फिर से बुलाना एक दिन।


याद मेरी आये तुमको के नहीं,

तुम मेरे ख्वाबों मे आना एक दिन।


शिकवे कुछ सच्चे से और कुछ झूठ भी,

खूब करना और रुलाना एक दिन।


डूबता सूरज हो और मद्धम रोशनी,

नदिया किनारे मिलने आना एक दिन। 

_कुश शर्मा

Saturday, October 15, 2022

काजल तुम्हारा,

 काश काजल तुम्हारा,

चाँद की रोशनी को कम कर पाता,

एक दिन तो,

मैं भी ख्वाब

आँखों में सजाना चाहता हूँ!

नींद आने के लिये,

एक दिन तो मिले,

जब रोशनी मेरी पुतलियों को,

जलाये न!

Sunday, July 16, 2017

आओ न!
नज़दीक!
नहीं !
न सही!
कम से कम,
ख्यालों मे!
न न!
ख्वाबों में नहीं !
जब से तुम गये, नींद आई ही नहीं।

Saturday, July 15, 2017

छलावा.

मैं प्यार नहीं करता,
तो ये कोई गुनाह तो नहीं,
मैं नफ़रत भी तो नहीं करता,
दरसल वो सब जो कहते हैं, के, वो प्यार करते हैं,
एक छलावे में रहते हैं,
मैं नहीं रहता,
वैसे सच कहूँ तो,
प्यार, गुनाह, नफ़रत,छलावा और "सच",
सब एक हसीन झूठ है।