तेरे मेरे
शाम सवेरे,
कभी उजाले
कभी अंधेरे.
मन मेरा,
ज्यूं ढलता सूरज
गहरे बादल,
गेसू तेरे,
मैं एकाकी
तू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे
खुली आंख से
सपना जैसा,
तेरी आंख में
आंसू मेरे,
दुनियां ज़ालिम,
सूखे उपवन
दूर बसायें
अपने डेरे,
क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरे|
बहुत ही खूबसूरत रचना लगी ।
ReplyDeleteक्या जादू है,
ReplyDeleteमै न जानूं
नींदें तेरी
सपने मेरे
poori ki poori rachna laajwaab hain..shabd nahi hain tareef ke liye..
aabhaar
मैं एकाकी
ReplyDeleteतू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे
----
दो एकाकी
दोनों तन्हा
यादों में क्यूँ
खुद आ जा
बहुत बढ़िया रचना!
ReplyDeletewah bhai wah!narayan narayan
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....अभी इसे कविता ब्लॉग पर भी पढ़ कर आ रही हूँ...
ReplyDelete'ख्वाहिश' को "कविता" Blog पर मिली सराहनाऎं!
ReplyDeleteVIJAY TIWARI " KISLAY " said...
शमा जी
नमस्कार
आपकी रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
बहुत ही भाव पूर्ण रचना है.
मैं एकाकी
तू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे.
- विजय तिवारी ' किसलय "
March 12, 2010 8:41 AM
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
क्या जादू है...मै न जानूं!
नींदें मेरी.....सपने तेरे|
सबसे खूबसूरत अहसास का लाजवाब बयान.
March 12, 2010 9:05 AM
shama said...
Leoji behad bhavuk rachana pesh kee hai! Wah!
March 12, 2010 9:19 AM
sangeeta swarup said...
बहुत सुन्दर...एक एक शब्द मन को छूता सा....खूबसूरत नज़्म..
March 12, 2010 9:42 AM
चंदन कुमार झा said...
कमाल की रचना । मजा आ गया ।
आभार
March 12, 2010 9:45 AM
मनोज कुमार said...
यह सबसे खूबसूरत अहसास का लाजवाब बयान है।
March 12, 2010 10:02 AM
मनोज कुमार said...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 13.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
March 12, 2010 11:06 AM
Suman said...
क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरेnice
March 12, 2010 5:46 PM
इस्मत ज़ैदी said...
खुली आंख से
सपना जैसा,
तेरी आंख में
आंसू मेरे
बहुत खूबसूरत एह्सास
क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरे
मासूम पंक्तियां
बहुत सुंदर वाह
March 12, 2010 8:00 PM
वन्दना said...
bahut hi bhavpoorna rachna.
March 13, 2010 12:05 AM
वाणी गीत said...
नींद मेरी सपने तेरे ....
तेरी आँख में आंसू मेरे ...
सुन्दर कविता ....!!
March 13, 2010 12:47 AM
आप सब का आभार! साधरण से शब्दों को कविता मे बदल दिया आप सब की सराहनाओं एवं स्नेह ने।
ReplyDeleteमैं ह्रदय से आभारी हूं,आप सब सुधी पाठको का।