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Saturday, February 12, 2011

डरे हुये तुम!




तुम मुझे प्यार करना बन्द मत करना,

इस लिये नहीं कि,
मैं जी नही पाऊँगा,
तुम्हारे प्यार के बिना,

हकीकत ये है, कि
मैं मर नहीं पाऊँगा सुकून से,

क्यो कि,

जिस को कोई प्यार न करता हो,


उसका मरना भी कोई मरना है!

और वैसे भी,

सूनी और वीरान कब्रें,
बहुत ही डरावनी लगती है!

और कौन है? जो फ़ूल रखेगा,
मेरी कब्र पर,तुम्हारे सिवा!

सच में, मैं ये जानता हूँ,

तुम्हें कितना डर लगता है,
वो ’हौरर शो’ देखते हुये!

और डरे हुये तुम 

मुझे बिल्कुल अच्छे नहीं लगते।


Tuesday, May 18, 2010

खामोशी!

कभी खामोश रह कर 




सुनो तो सही,




क्या कहती है?




मेरी ये 


खामोशी!


पर अफ़सोस ये है कि,
तुम्हारे तर्क वितर्क के शोर से से घबरा कर,


अक्सर 


खामोश ही रह जाती है 








मेरी 



खामोशी!

Wednesday, May 5, 2010

प्लीज़!

इस बार ऐसा करना,


जब बिना बताये आओ,


किसी दिन

तो 
चुपचाप
चुरा कर ले जाना,

जो कुछ भी,
तुम्हें लगे,
कीमती,

मेरे घर,
जेहन,
या शख्शियत में,

प्लीज़!

गर ये भी न हो पाया,


(कि तुम्हे कुछ भी कीमती न लगे)


तो ,
मैं,


टूट जाउंगा,

क्यों कि सुना है,


मुफ़लिसी 


इन्सान को


खोखला कर देती है!



Thursday, March 11, 2010

ख्वाहिश!

तेरे मेरे 
शाम सवेरे,
कभी उजाले
कभी अंधेरे.

मन मेरा,
ज्यूं ढलता सूरज
गहरे बादल,
गेसू तेरे,

मैं एकाकी
तू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे

खुली आंख से
सपना जैसा,
तेरी आंख में
आंसू मेरे,

दुनियां ज़ालिम,
सूखे उपवन
दूर बसायें
अपने डेरे,

क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरे|