चारागर मशरूफ़ थे ,ईलाज़े मरीज़े रूह में,
बीमार पर जाता रहा ,तकलीफ़ उसको जिस्म की थी।
बाद मरने के भी , कब्र में है बेचॆनी,
वो खलिश अज़ीब किस्म की थी।
किस्सा गो कहता रहा ,रात भर सच्ची बातें,
नींद उनको आ गई ,तलाश जिन्हे तिलिस्म की थी।
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शब्दार्थ:
चारागर : हकीम (Local Doctor)
बीमार पर जाता रहा ,तकलीफ़ उसको जिस्म की थी।
बाद मरने के भी , कब्र में है बेचॆनी,
वो खलिश अज़ीब किस्म की थी।
किस्सा गो कहता रहा ,रात भर सच्ची बातें,
नींद उनको आ गई ,तलाश जिन्हे तिलिस्म की थी।
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शब्दार्थ:
चारागर : हकीम (Local Doctor)
मशरूफ़ :वयस्त ( Engaged)
खलिश :दर्द की चुभन (Pain)
किस्सा गो :कहानी सुनाने वाला (Story Teller)
तिलिस्म :जादू (Magic)
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किस्सा गो कहता रहा ,रात भर सच्ची बातें,
ReplyDeleteनींद उनको आ गई ,तलाश जिन्हे तिलिस्म की थी।
बहुत खूब
एक से बढ़ कर एक हैं तीनों शेर ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteBeautiful. you are really talented.
ReplyDelete.
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shilpa
"बाद मरने के भी , कब्र में है बेचॆनी,
ReplyDeleteवो खलिश अज़ीब किस्म की थी।"
बेहद ख़ूबसूरत गजल और वैसी ही रवानी .वह! क्या कही है दोस्त.
jab koi Shayar kisi Shayar ka chaaragar bane to kuch aisa hi hoga .Jeene ki kulbulaahat marne ke baad jaari rahegi :))
ReplyDeleteसरजी, तीसरा वाला शेर शायद एक बार कमेंट में पा चुका हूँ। आज फ़िर से दाद कुबूल कीजिये।
ReplyDeleteकिस्सा गो कहता रहा ,रात भर सच्ची बातें,
ReplyDeleteनींद उनको आ गई ,तलाश जिन्हे तिलिस्म की थी।
क्या बात कही है, बहुत खूब...
kya baat kah dee aapne, bahut khoob...
ReplyDeleteचारागर मशरूफ़ थे ,ईलाज़े मरीज़े रूह में,
बीमार पर जाता रहा ,तकलीफ़ उसको जिस्म की थी।
teeno sher bahut kamaal, daad sweekaaren.
"हम में अधिकतर लोग तब प्रार्थना करते हैं, जबकि हम किसी भयानक मुसीबत या समस्या में फंस जाते हैं| या जब हम या हमारा कोई किसी भयंकर बीमारी या मुसीबत या दुर्घटना से जूझ रहा होता है तो हमारे अन्तर्मन से स्वत: ही प्रार्थना निकलती हैं| क्या इसका मतलब यह है कि हमें प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी के घटित होने का इन्तजार करना चाहिए!"
ReplyDelete"स्वस्थ, समृद्ध, सफल, शान्त और आनन्दमय जीवन हर किसी का नैसर्गिक (प्राकृतिक) एवं जन्मजात अधिकार है| आप इससे क्यों वंचित हैं?"
एक सही ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ का चयन और उसका अनुसरण आपके सम्पूर्ण जीवन को बदलने में सक्षम है| जरूरत है तो बस इतनी सी कि आप एक सही और पहला कदम, सही दिशा में बढाने का साहस करें|
"सफल और परिणाम दायी अर्थात ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ का नाम ही- "कारगर प्रार्थना" है! जिसका किसी धर्म या सम्प्रदाय से कोई सम्बन्ध नहीं है| यह प्रार्थना तो जीवन की भलाई और जीवन के उत्थान के लिये है| किसी भी धर्म में इसकी मनाही नहीं है|"