लोग बस गये जाकर वीराने में,
सूना घर हूँ मैं बस्ती में रह जाउँगा।
तुम न आओगे चलों यूँ ही सही,
याद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा।
पी चुका हूँ ज़हर मैं तन्हाई का,
पर चारागर कहता है,के बच जाउँगा।
कह दिया तुमने जो तुम्हें अच्छा लगा,
सच बहुत कडवा है,मैं न कह पाउँगा।
तुमको लगता है कि मैं बरबाद हूँ,
आइना रोज़े महशर तुम्हें दिखलाऊँगा।
कह दिया तुमने जो तुम्हें अच्छा लगा,
ReplyDeleteसच बहुत कडवा है,मैं न कह पाउँगा।
तुमको लगता है कि मैं बरबाद हूँ,
आइना रोज़े महशर तुम्हें दिखलाऊँगा।
...दिल तक पहुँचते ख्याल
तुम न आओगे चलों यूँ ही सही,
ReplyDeleteयाद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा
क्या खूबसूरत उलाहना है !
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Sanjeev Sharma ऊम्दा लिखा है हुज़ूर. सच मे!
16 hours ago · Like
"कह दिया तुमने जो तुम्हें अच्छा लगा,
ReplyDeleteसच बहुत कडवा है,मैं न कह पाउँगा।"
आपने तो हर दिल कि बात कह दी.बहुत सुन्दर भाव.
पी चुका हूँ ज़हर मैं तन्हाई का,
ReplyDeleteपर चारागर ये कहता है, बच जाउँगा।
Gazab kee panktiyan hain!
बहुत सुन्दर ! शुभकामनायें !
ReplyDeletehar sher bahut kamaal, badhai sweekaaren.
ReplyDeleteतुम न आओगे चलों यूँ ही सही,
ReplyDeleteयाद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा।
बहुत बढ़िया !
sach me.
ReplyDeletebahut hibehtreen gazal sachchai ki jhalak milti ho jime vahi to pasand sabhi ki hai.bahut hi sundar
bahut bahut badhai
poonam
कह दिया तुमने जो तुम्हें अच्छा लगा,
ReplyDeleteसच बहुत कडवा है,मैं न कह पाउँगा।
bestone...
"कह दिया तुमने जो तुम्हें अच्छा लगा,
ReplyDeleteसच बहुत कडवा है,मैं न कह पाउँगा।"
सच कडवा ही होता है और अक्सर देख गया है कि--
"जो कहते हैं कि वो हैं सच्चाई पसंद
अपनी सच्चाई से खुद मोड़ के वो बैठे हैं !
दूसरों को उनकी सच्चाई का आइना दिखाने वाले
खुद उनको आइना दिखाओ तो खफा होते हैं !!"
खूब कही आपने......
शुक्रिया...!!
नमस्कार जी,
ReplyDeleteये कविता बहुत पसंद आयी है......!
तुमको लगता है कि मैं बरबाद हूँ,
ReplyDeleteआइना रोज़े महशर तुम्हें दिखलाऊँगा।
baht khub