ये सब हैं चाहने वाले!और आप?

Friday, September 16, 2011

मन इंसान का!





मन इंसान का,
अपना कभी पराया है,
मन ही है जिसने 
इंसान को हराया है,


मन में आ जाये तो,
राम बन जाये तू,
मन की मर्ज़ी ने ही तो,
रावण को बनाया है!




मन के बस में ही,है
इंसान और उसकी हस्ती 
मन की बस्ती में आबाद
यादों का सरमाया है,


मन है कभी चमकती 
धूप सा रोशन,
मन के बादल में ही तो 
नाउम्मीदी का साया है,


मन ही लेकर चला
अंजानी राहो पे,
मन ही है जिसने 
मुझे भटकाया है,  


मन ही वजह 
डर की बनता है कभी,
इसी मन ने ही 
मुझे हौसला दिलाया है,


कभी बच्चे की मानिंद
मैं हँसा खिलखिलाकर,
इसी मन ने मुझे कभी,
बेइंतेहा रुलाया है,


मन तो मन है,
इंसान का मन,
मन की मर्ज़ी,को,
भला कौन समझ पाया है? 





15 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा है ... सटीक और सार्थक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. मन दोस्त भी है, दुश्मन भी है। काबू में रहे तो गुलाम है, काबू में रखे तो मालिक है।
    बहुत खूब।

    ReplyDelete
  3. मन में आ जाये तो,
    राम बन जाये तू,
    मन की मर्ज़ी ने ही तो,
    रावण को बनाया है!
    बस मन की बात है ...

    ReplyDelete
  4. मन की अतल गहराइयों में डुबकी लगा आप वहाँ छिपे बहुत सारे अनमोल मोती निकाल लाये हैं ! बधाई एवं शुभकामनायें ! बहुत सुन्दर रचना है !

    ReplyDelete
  5. क्‍या आप जानते हैं मन, वि‍चार ही है? मन और वि‍चार पर्यायवाची शब्‍द हैं?

    ReplyDelete
  6. सुन्दर रचना. सच कहा है, सब कुछ मन ही तो जो नियंत्रित करता है.
    http://mallar.wordpress.com

    ReplyDelete
  7. सही कहा है .. इंसान का मन ही जो बड़े से बड़ा काम भी करा देता है ... इंसान को देवता बना देता है .. लाजवाब लिखा है ..

    ReplyDelete
  8. सभी सुधी जनो का आभार, प्रशंसा के लिये!

    ReplyDelete
  9. सुन्दर और भाव पूर्ण रचना के लिए बहुत-बहुत आभार...

    ReplyDelete
  10. man jana to sab jag jana...
    bahut sundar rachna...

    ReplyDelete
  11. sahi kaha, insaani man bahut bhatakta aur bharmata hai...

    मन तो मन है,
    इंसान का मन,
    मन की मर्ज़ी,को,
    भला कौन समझ पाया है?

    saarthak lekhan ke liye badhai.

    ReplyDelete
  12. मन में आ जाये तो,
    राम बन जाये तू,
    मन की मर्ज़ी ने ही तो,
    रावण को बनाया है!
    bilkul shi.

    ReplyDelete
  13. sachmuch bahut sundar kaha hai apne..

    ReplyDelete

Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.