मुझे लग रहा है,पिछले कई दिनों से ,
या शायद, कई सालों से,
कोई है, जो मेरे बारे में सोचता रहता है,
हर दम,
अगर ऐसा न होता ,
तो कौन है जो, मेरे गिलास को शाम होते ही,
शराब से भर देता है।
भगवान?
मगर, वो ना तो पीता है,
और ना पीने वालों को पसंद करता है ,
ऐसा लोग कह्ते हैं,
पर कोई तो है वो !
कौन है वो, जो,
प्रथम आलिगंन से होने वाली अनुभुति
से मुझे अवगत करा गया था।
मेरे पिता ने तो कभी इस बारे में मुझसे बात ही नहीं की,
पर कोई तो है, वो!
कौन है वो ,जो
मेरी रोटी के निवाले में,
ऐसा रस भर देता है,
कि दुनियां की कोई भी नियामत,
मुझे वो स्वाद नहीं दे सकती।
पर मैं तो रोटी बनाना जानता ही नही
कोई तो है ,वो!
कौन है वो ,जो,
उन तमाम फ़ूलों के रगं और गंध को ,
बदल देता है,
कोमल ,अहसासों और भावनाओं में।
मेरे माली को तो साहित्य क्या, ठीक से हिन्दी भी नहीं आती।
कोई तो है ,वो,
वो जो भी है,
मैं जानता हूं, कि,
एक दिन मैं ,
जा कर मिलु्गां उससे,
और वो ,हैरान हो कर पूछेगा,
क्या हम, पहले भी ,कभी मिलें हैं?
कौन है वो ,जो
ReplyDeleteमेरी रोटी के निवाले में,
ऐसा रस भर देता है,
कि दुनियां की कोई भी नियामत,
मुझे वो स्वाद नहीं दे सकती।
पर मैं तो रोटी बनाना जानता ही नही
कोई तो है ,वो!... गजब की रचना लिखी है , एक एक शब्द - कोई तो है जो इन एहसासों को जानता है , पर ...
भगवान?
ReplyDeleteमगर, वो ना तो पीता है,
और ना पीने वालों को पसंद करता है ,
ऐसा लोग कह्ते हैं,
जीवन अपने आप में एक नशा है... इसे बनाने वाला इस सुन्दर सम्भावना से इनकार कैसे करेगा!
बेहद सुन्दर रचना!!!
सादर!
वो जो भी है,
ReplyDeleteमैं जानता हूं, कि,
एक दिन मैं ,
जा कर मिलु्गां उससे,
ये विश्वास बलवती रहे... वह स्वयं चल कर आएगा मिलने!
कहते हैं, वो ऐसे चमत्कार भी करता है!
बहुत खूब ... कल्पनाओं में बिम्ब बनाना ... उससे बातें करना ... जानना और न जानना ... फिर अनजाने ही मिलने की कामना ... बहुत दिलचस्प और लाजवाब रचना ....
ReplyDeleteकौन है वो ,जो
ReplyDeleteमेरी रोटी के निवाले में,
ऐसा रस भर देता है,
कि दुनियां की कोई भी नियामत,
मुझे वो स्वाद नहीं दे सकती।
KYA BAAT HAI !
BAHUT SUNDAR !!
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
ReplyDeleteगजब के अहसास।
ReplyDeleteबेहतरीन भाव।
सुंदर रचना।
हां कोई तो हैं जो ....इन एहसासों को साथ साथ ..जी रहा हैं
ReplyDeleteआप सब पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया रचना को अपने आशीष से नवाज़ने के लिये!
ReplyDeleteहम सभी उसकी तलाश में हैं...लगता है के बस अभी मिल जायेगा यहीं और तभी वो गायब हो जाता है...ये तलाश हम सब की तलाश है...शायद वो यहीं कहीं है....या फिर हम में ही छुपा कहीं...बहुत अच्छी लगी आपकी रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
सच कहा, कोई तो है जो जीवन में हर वो भाव पैदा करता है जो जीने के लिए लाजिमी है. पर कौन...नहीं पता... पर कोई है...
ReplyDeleteकौन है वो ,जो,
उन तमाम फ़ूलों के रगं और गंध को ,
बदल देता है,
कोमल ,अहसासों और भावनाओं में।
कौन है वो ,जो,
ReplyDeleteउन तमाम फ़ूलों के रगं और गंध को ,
बदल देता है,
कोमल ,अहसासों और भावनाओं में।
Sach....wo kaun chitrkaar hai? Ye kis kavikee kalpnaka chamatkaar hai! Ye waalee rachana yaad dila dee aapne!Bahut khoob!
nice
ReplyDeleteकोई तो है ,वो,
ReplyDeleteवो जो भी है,
मैं जानता हूं, कि,
एक दिन मैं ,
जा कर मिलु्गां उससे,
और वो ,हैरान हो कर पूछेगा,
क्या हम, पहले भी ,कभी मिलें हैं?
bahut khoobsurat...us ko shayad ham sabhi dhundh rahe hai...
क्या कहूँ? आपने तो निशब्द कर दिया.
ReplyDeleteकौन
ReplyDelete@ दीपक बाबा.
ReplyDeleteमैं और मेरा "वो"!
बेहतरीन... :)
ReplyDeleteबस एक शब्द...
आपकी रचना ने मुझे निःशब्द कर दिया :)
बहुत अच्छी तरह हर अहसास भर कर कलम में कलम जब चलायी अपने ..सुंदर कविता बन गयी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteआपकी रचनाये बहुत भायी दिल को...
अब पढ़ती रहूंगी..
सो आज से फोलो करती हूँ...
शुभकामनाएँ..