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Thursday, February 23, 2012

सजा इंसान होने की !




मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन.
कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन.

दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है,
कमज़ोरियों का मेरी, अब हिसाब करे कौन.

हर बार लड रहा हूं मै खुद अपने आपसे, 
जीतूंगा या मिट जाऊंगा, कयास करे कौन.      

मुदद्दत से जल रहा हूं मै गफ़लत की आग में,
मौला के सिवा, मेरी नज़र साफ़ करे कौन.

गर्दे सफ़र है रुख पे मेरे, रूह को थकान,
नफ़रत की हूं तस्वीर,प्यार बेहिसाब करे कौन.



Monday, January 23, 2012

उसका सच! एक बार फ़िर!


मुझे लग रहा है,पिछले कई दिनों से ,
या शायद, कई सालों से,

कोई है, जो मेरे बारे में सोचता रहता है,

हर दम,

अगर ऐसा न होता ,
तो कौन है जो, मेरे गिलास को शाम होते ही,
शराब से भर देता है।

भगवान?

मगर, वो ना तो पीता है,
और ना पीने वालों को पसंद करता है ,
ऐसा लोग कह्ते हैं,

पर कोई तो है वो !


कौन है वो, जो,
प्रथम आलिगंन से होने वाली अनुभुति 
से मुझे अवगत करा गया था।

मेरे पिता ने तो कभी इस बारे में मुझसे बात ही नहीं की,

पर कोई तो है, वो!

कौन है वो ,जो 
मेरी रोटी के निवाले में,
ऐसा रस भर देता है,
कि दुनियां की कोई भी नियामत,
मुझे वो स्वाद नहीं दे सकती।
पर मैं तो रोटी बनाना जानता ही नही

कोई तो है ,वो!

कौन है वो ,जो,
उन तमाम फ़ूलों के रगं और गंध को ,
बदल देता है,
कोमल ,अहसासों और भावनाओं में।

मेरे माली को तो साहित्य क्या, ठीक से हिन्दी भी नहीं आती।

कोई तो है ,वो,

वो जो भी है,
मैं जानता हूं, कि,
एक दिन मैं ,
जा कर मिलु्गां उससे,
और वो ,हैरान हो कर पूछेगा,


क्या हम, पहले भी ,कभी मिलें हैं?