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Saturday, March 30, 2013

नींद की गठरी!

दोस्ती का देखने को,अब कौन सा मंज़र मिले,
फिर कलेजा चाक हो,या पीठ में खंजर मिले!


मेरी बरबादी की खातिर,दुश्मनी कम पड गई,
दिल में यारों को बसाया,उसके बस खंडहर मिले!


मैंने समझा था गुलों की सेज,तुरबत को मगर,
कब्र में जा कर भी बस,बदनामी के नश्तर मिले।


लोग लेकर चल पडे थे,सामाँ मसर्रत के सभी,
नींद की गठरी नहीं थी,खाली उन्हे बिस्तर मिले।

Tuesday, March 26, 2013

हैली होप्पी!



होली सब को खुशियों के रंग में सराबो कर दे!
Happy
Holi

Friday, March 15, 2013

ख्वाहिशें


ख्वाब पलकों के पीछे से चुभने लगे,
मेरा दिलबर मुझे रू-ब-रू चाहिये!


अँधेरा पुतलियों तक  पहुँचने लगा,
नूर तेरा मुझे अब चार सू चाहिये!



फ़ूल कागज़ के हैं ये महकते  नहीं,

गेसुओं की तेरे मुझको वो बू चाहिये!


आँख से जो गिरा अश्क है बेअसर,
जो लफ़्ज़ों मे हो वो लहू चाहिये!

Sunday, March 10, 2013

अफ़साना-ए-वफ़ा


कभी करना न भरोसा,

दिल की लन्तरानी पे

ये वो सराब हैं,

जो सरे सहरा ,

तेरी तिश्‍नगी को

धूप के हवाले करके,

तुझे आँसुओं की शबनम के सहारे छोड जायेगा,

औ दर्द तेरा

सबब बन जायेगा,

कहकहों का,

ज़माना सिर्फ़ तेरी नाकामयाब मोहब्बतों को

कहानियों में सुनायेगा !

ऐ दिल-ए- नादाँ,

सम्भल,


इश्क कभी वफ़ा वालों को, मिला है अब तक?


तेरा अफ़साना भी
माज़ी के वर्कॊं में दबाया जायेगा.

Saturday, March 9, 2013

खता किसकी!



मुझे बस इतना बताते जाते,
क्यूँ मुस्कुराते थे,तुम आते जाते!

शब-ए-इंतेजार मुख्तसर न हूई,
दम मगर जाता रहा तेरे आते आते।

तिश्‍नगी लब पे मकीं हो गई,
तेरी जुल्फों की घटा छाते छाते।

दर-ए-दुश्मन था,और मयखाना
गम के मारे बता किधर जाते?

तेरा घर मेरी गली के मोड पे था, रास्ते भला कैसे जुदा हो पाते?