कभी करना न भरोसा,
दिल की लन्तरानी पे
ये वो सराब हैं,
जो सरे सहरा ,
तेरी तिश्नगी को
धूप के हवाले करके,
तुझे आँसुओं की शबनम के सहारे छोड जायेगा,
औ दर्द तेरा
सबब बन जायेगा,
कहकहों का,
ज़माना सिर्फ़ तेरी नाकामयाब मोहब्बतों को
कहानियों में सुनायेगा !
ऐ दिल-ए- नादाँ,
सम्भल,
इश्क कभी वफ़ा वालों को, मिला है अब तक?
तेरा अफ़साना भी
माज़ी के वर्कॊं में दबाया जायेगा.
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteआपको भी "हर हर बम बम"!
Deleteसुन्दर लिखा है आपने .
ReplyDeleteपसंद करने के लिये आपका शुक्रिया अमृता जी!
Deleteबहुत खूब ... इश्क ऐसे ही दफ़न हो जाता है ...
ReplyDeleteदिगम्बर भाई आपका शुक्रिया!
Deleteसुंदर रचना , बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया!
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