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Sunday, March 10, 2013

अफ़साना-ए-वफ़ा


कभी करना न भरोसा,

दिल की लन्तरानी पे

ये वो सराब हैं,

जो सरे सहरा ,

तेरी तिश्‍नगी को

धूप के हवाले करके,

तुझे आँसुओं की शबनम के सहारे छोड जायेगा,

औ दर्द तेरा

सबब बन जायेगा,

कहकहों का,

ज़माना सिर्फ़ तेरी नाकामयाब मोहब्बतों को

कहानियों में सुनायेगा !

ऐ दिल-ए- नादाँ,

सम्भल,


इश्क कभी वफ़ा वालों को, मिला है अब तक?


तेरा अफ़साना भी
माज़ी के वर्कॊं में दबाया जायेगा.

8 comments:

  1. महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  2. सुन्दर लिखा है आपने .

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    1. पसंद करने के लिये आपका शुक्रिया अमृता जी!

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  3. बहुत खूब ... इश्क ऐसे ही दफ़न हो जाता है ...

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    1. दिगम्बर भाई आपका शुक्रिया!

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  4. सुंदर रचना , बधाई

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