एक बार की बात है!
"’एक’ खरगोश ने ’एक’ कछुये से कहा!"......
’पंचतंत्र’ की कथाओं में ऐसा पढा था,
पर शायद, वो बीसवीं सदी की बात है!
एक्कीसवीं सदी में न तो,
विष्णु शर्मा को जानने वाले हैं!
न ये मानने वाले कि,
किसी ’खरगोश’ ने कभी किसी ,’कछुये’ से,
बात की होगी!
क्यों कि आज तो ’इंसान’की कही बात
’इंसान’ को समझ में नहीं आती!
’खरगोश’और ’कछुये’ के बीच हुये संवाद को,
समझने वाला कहां ढूडते हो,
इस समय में आप!
"’एक’ खरगोश ने ’एक’ कछुये से कहा!"......
’पंचतंत्र’ की कथाओं में ऐसा पढा था,
पर शायद, वो बीसवीं सदी की बात है!
एक्कीसवीं सदी में न तो,
विष्णु शर्मा को जानने वाले हैं!
न ये मानने वाले कि,
किसी ’खरगोश’ ने कभी किसी ,’कछुये’ से,
बात की होगी!
क्यों कि आज तो ’इंसान’की कही बात
’इंसान’ को समझ में नहीं आती!
’खरगोश’और ’कछुये’ के बीच हुये संवाद को,
समझने वाला कहां ढूडते हो,
इस समय में आप!