मैं कब का,निकल आता
तेरी जुदाई के सदमें से,
और भूल भी जाता तुझको,
मगर कुदरत की नाइंसाफ़ियों का क्या करूँ?
तुझे याद भी नहीं होगा,
वो ’मेरे’ गाल का तिल,
जिसे चूमते हुये,
तूने दिखाया था,
अपने गाल का तिल!
तेरी जुदाई के सदमें से,
और भूल भी जाता तुझको,
मगर कुदरत की नाइंसाफ़ियों का क्या करूँ?
तुझे याद भी नहीं होगा,
वो ’मेरे’ गाल का तिल,
जिसे चूमते हुये,
तूने दिखाया था,
अपने गाल का तिल!