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Friday, January 29, 2010

मुगाल्ते

मै नहीं मेरा अक्स होगा,
जिस्म नही कोई शक्स होगा.

ख्वाहिशें बेकार की है,
पानी पे उभरा अक्स होगा.

ज़िन्दगी अब और क्या हो,
आंखों में तेरा नक्श होगा.

गल्तियां मेरी हज़ारों,
तू ही खता बख्श होगा.

13 comments:

  1. मै नहीं मेरा अक्स होगा,
    जिस्म नही कोई शक्स होगा.

    janaab..kya likha hai aapne...sach padh kar dil mein thandhak pad gayi..
    are bahut khoobsurat..!!

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  2. भई वाह...!
    इस मखमली अभिव्यक्ति के लिए आपको बधाई!

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  3. गल्तियां मेरी हज़ारों,
    तू ही खता बख्श होगा.Sach, kitne achhe alfaaz hain!
    'kavita'blog pe ise post kyon nahee kee?

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  4. "Kavita" Par mili prashansha:

    ह्रदय पुष्प said...
    मै नहीं मेरा अक्स होगा,
    जिस्म नही कोई शक्स होगा.

    ख्वाहिशें बेकार की है,
    पानी पे उभरा अक्स होगा.

    ज़िन्दगी अब और क्या हो,
    आंखों में तेरा नक्श होगा.

    गल्तियां मेरी हज़ारों,
    तू ही खता बख्श होगा.
    वाह - वाह एक से बढ़िया एक - लाजवाब

    January 30, 2010 2:27 AM


    संजय भास्कर said...
    behtreen aur lajwaab rachnaa...

    January 30, 2010 5:21 AM


    वन्दना said...
    waah..........bahut hi sundar.

    January 30, 2010 6:12 AM


    sangeeta swarup said...
    बहुत खूब..अच्छी पेशकश

    January 30, 2010 7:03 AM


    योगेश स्वप्न said...
    behatareen, gagar men sagar. sabh ek se badhkar ek khubsurat.

    January 30, 2010 8:10 AM


    शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
    शमा साहिबा आदाब
    ......ख्वाहिशें बेकार की है,
    पानी पे उभरा अक्स होगा.
    शुक्रिया आपका ये कलाम पढवाने के लिये

    January 30, 2010 9:34 AM


    अनामिका की सदाये...... said...
    bahut acchhi aur gehri rachna.
    badhayi.

    January 30, 2010 9:54 AM

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  5. बहुत सुन्दर
    गल्तियां मेरी हज़ारों,
    तू ही खता बख्श होगा
    बहुत बहुत आभार ..............

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  6. मै नहीं मेरा अक्स होगा,
    जिस्म नही कोई शक्स होगा.

    ख्वाहिशें बेकार की है,
    पानी पे उभरा अक्स होगा...

    बहुत खूबसूरत शेर ...... सुभान अल्ला स्वतह ही निकल जाता है मुँह से ..... बहुत खूब ........

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  7. आप सबका तहे दिल से शुक्रिया!मामूली लफ़्ज़ों को कलाम बना दिया आप की तारीफ़ ने!

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  8. गलतियाँ मेरी हजारों ...तू ही खताबख्स होगा ...
    कब तक नहीं होगा ....
    मैं नहीं मेरा अक्श होगा ...जिस्म नहीं कोई शख्स होगा ...

    बहुत सुन्दर ....!!

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  9. गलतियाँ मेरी हजारों ...तू ही खताबख्स होगा ...
    कब तक नहीं होगा ....
    मैं नहीं मेरा अक्श होगा ...जिस्म नहीं कोई शख्स होगा ...

    बहुत सुन्दर ....!!

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  10. ज़िन्दगी अब और क्या हो,
    आंखों में तेरा नक्श होगा.
    isse jyada prem ka saboot kya hoga..

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