ये सब हैं चाहने वाले!और आप?

Friday, April 2, 2010

कडवी कडवी !!!

लहू अब अश्क में बहने लगा है,
नफ़रतें ख़्वाब  में आने लगीं हैं,

मरुस्थल से जिसे  घर में जगह दी
नागफ़नी फ़ूलों को खाने लगीं हैं, 

हमारी फ़ितरत का ही असर है,
चांदनी भी तन को जलाने लगी है

चलो अब चांद तारो को भी बिगाडें  
ऋतुयें धरती से मूंह चुराने लगीं है.

बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है. 



7 comments:

  1. "बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
    सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है."
    एकदम सही लिखा साहब,
    आभार।

    ReplyDelete
  2. बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
    सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है.


    -क्या बात कही है, वाह!!

    ReplyDelete
  3. सारे शेर लाजवाब है...
    और सच कह रहे हैं ...
    कुछ वर्तनियों में दोष है..ठीक कर लीजिये...
    आभार..

    ReplyDelete
  4. बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
    सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है.
    Awesome lines.. Nice work!!

    ReplyDelete
  5. Bahut sundar ghazal hai...

    matle me radeef galat hai....waise lekhan aur chintan dono achhe hain...
    Kahs karke ye sher bahut achha laga..
    हमारी फ़ितरत का ही असर है,
    चांदनी भी तन को जलाने लगी है

    ReplyDelete
  6. चलो अब चांद तारो को भी बिगाडें
    रितुयें धरती से मूंह चुराने लगीं है.
    क्या बात है ...क्या बात
    ग़ज़ल की सबसे बड़ी बात उसका सीधे मन मैं उतरना है .
    बधाई !!!

    ReplyDelete
  7. "Kavita" sarahana:
    Amitraghat said...
    "बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
    सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है."
    सुन्दर पँक्तियाँ.........."

    April 8, 2010 10:35 PM


    श्याम कोरी 'उदय' said...
    बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
    सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है.
    ...bahut sundar, behatareen abhivyakti!!!!

    April 8, 2010 11:18 PM


    वाणी गीत said...
    ऋतुएं बदलने लगी हैं ...अब चाँद तारों पर भी ..
    बदलते पर्यावरण के साथ इंसान की फितरत को खूब बयान कर रही हैं ये पंक्तियाँ ...
    बात सच्ची कडवी ही होती है कब किसी को अच्छी लगी है ...!!

    April 8, 2010 11:45 PM


    sangeeta swarup said...
    आज की कड़वी सच्चाई को बताती अच्छी ग़ज़ल

    April 9, 2010 12:43 AM


    अरुणेश मिश्र said...
    कथन उपयुक्त ।

    April 9, 2010 1:25 AM


    वन्दना said...
    बात कडवी है तो कडवी ही लगेगी,
    सच्ची बातें किसको सुहानी लगीं है.

    waah.........bahut hi sundar panktiyan aur umda prastuti.

    April 9, 2010 1:55 AM

    ReplyDelete

Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.