मोहब्बतों से घरों को दुआयें मिलतीं हैं,
जो सच्चे लोग हैं उनको वफ़ायें मिलतीं है|
दर्द मिलने पे भी मुस्कुरा कर देखो!
रोने वालो को कडवी दवायें मिलती है|
कभी बीवी को भी वो ही सम्मान तो दो,
एक दम मां वाली दुआयें मिलती हैं|
उन के किरदार में ही कुछ कमी होगी,
कैसे लोग हैं जिन्हें घर से ज़फ़ायें मिलती है?
जो सच्चे लोग हैं उनको वफ़ायें मिलतीं है|
दर्द मिलने पे भी मुस्कुरा कर देखो!
रोने वालो को कडवी दवायें मिलती है|
कभी बीवी को भी वो ही सम्मान तो दो,
एक दम मां वाली दुआयें मिलती हैं|
उन के किरदार में ही कुछ कमी होगी,
कैसे लोग हैं जिन्हें घर से ज़फ़ायें मिलती है?
मोहब्बतों से घरों को दुआयें मिलतीं हैं,
ReplyDeleteजो सच्चे लोग हैं उनको वफ़ायें मिलतीं है|
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! बिलकुल सही फ़रमाया है आपने! बहुत खूब!
गजल के मिसरे बहुत बढ़िया है!
ReplyDeleteउन के किरदार में ही कुछ कमी होगी,
ReplyDeleteकैसे लोग हैं जिन्हें घर से ज़फ़ायें मिलती है?
bahut sundar rachna
acha laga pad kar
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत ही खुबसूरत लिखा है. इन पंक्तियों ने दिल को छू लिया.
ReplyDeleteकभी बीवी को भी वो ही सम्मान तो दो,
एक दम मां वाली दुआयें मिलती हैं|
खूबसूरत अशआर ...!!
ReplyDeleteआपकी रचना की चर्चा यहाँ भी की गई है-
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_6838.html
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है ! खास कर ये शेर बहुत अच्छा लगा ....
ReplyDeleteदर्द मिलने पे भी मुस्कुरा कर देखो!
रोने वालो को कडवी दवायें मिलती है|
khoobsurat gazal
ReplyDeleteमोहब्बतों से घरों को दुआयें मिलतीं हैं,
ReplyDeleteजो सच्चे लोग हैं उनको वफ़ायें मिलतीं है|
Bahut khoob....!!
bahut hi khubsurat
ReplyDeleteaur mein sirf do panktiya nahi bata ki kaun si zyada achhi hai mujhe to puri me hi kuch khaas nazar aata hai
kafi achchi lagi .
ReplyDeleteदर्द मिलने पे भी मुस्कुरा कर देखो!
ReplyDeleteरोने वालो को कडवी दवायें मिलती है|
bahut achhe...
behtareen rachna ke liye badhai...
regards
shekhar
"मोहब्बतों से घरों को दुआयें मिलतीं हैं,
ReplyDeleteजो सच्चे लोग हैं उनको वफ़ायें मिलतीं है|"
सच में?
आज सहमत नहीं हूं आपसे।
रचना बहुत अच्छी है आपकी, मेरी असहमति को नापसंद नहीं समझेंगे, यकीन है।
Bahut sunder...bahut umda sher hain..!
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