आप किसी नास्तिक से मिले है कभी?
मैं भी नहीं मिला,किसी सच्चे और प्योर हार्ड कोर नास्तिक से,
जितने भी तथाकथित ’नास्तिक’,मुझे मिले,
वे सब वो लोग थे,
जो जीवन की सभी मूलभूत सुविधाओं,
आरामदायक जीवन के साधनों,
का उपयोग करते हुये,
विचारों की कबब्डी खेलने के शौकीन थे,
एक भी ऐसा इंसान,जो जीवन संघर्ष में लगा हो,
या किसी भी प्रकार के अभाव से जूझ रहा हो,
परम शक्ति के अस्तित्व को नकारता नहीं मिला,
तो मुझे लगा कि,
ईश्वर की सत्ता को नकारने वाले लोग,
या तो वे हैं,जो स्वयं की सत्ता को मनवाना चाहते है,
या वो जिनके पास,
मानवीय बुद्धि का, वो टेढा पहलू है कि,
वो परमात्मा की सत्ता को नकार कर,
झूठे आंनद का मज़ा लेते हैं.
इन्हीं में से ’एक’ नास्तिक को जब मैने,
यही अपना तर्क दिया तो झुंझलाकर बोला,
Thank God I am a 'Rational Man'!
UNLIKE YOU!
चित्र_ मत्स्यावतार By "Isha" in Madhubani Style.
बढिया रचना है!!
ReplyDeleteबढ़िया रचना ... नास्तिक हो या आस्तिक ... जो सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलेगा, उसे दुनिया में तकलीफों का सामना करना ही पढ़ेगा ... पर तकलीफों का सामना करके इंसान और मजबूत हो जाता है ...
ReplyDeletekoi to hai jisne ye shandar,jandar,damdar damdar croro prakar ke jeev jantu,ped podhon kee rachna kee hai.narayan narayan
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne...
ReplyDeleteyun hi likhte rahein...
regards
http://i555.blogspot.com/
idhar ka v rukh karein..
....हर नास्तिक के पीछे एक आस्तिक पहलू जरुर होता है ..... कौन नास्तिक है कौन नास्तिक है इसका कोई सटीक मूल्याकन नहीं....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ....
Oh..kamal ki rachana!
ReplyDeleteबहुत अच्छा व्यंग है आपका ... मुझे भी आजतक क़िस्सी सच्चे नास्तिक से मिलना है ... सब अपनी कॅनवीनियेन्स के हिसाब से नास्तिक बन जाते हैं ....
ReplyDeleteसरल शब्दों में सुन्दर रचना!
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeletethank god
haa haa haa
क्या तुक बांधी है, सुभानअल्लाह! इसने तो दिमाग की गर्मी निकाल दी, बोले तो ठंडा कर दिया.
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ReplyDeletemere blog par is baar
तुम कहाँ हो ? ? ?
jaroor aayein...
tippani ka intzaar rahega...
http://i555.blogspot.com/
मेरा अनुभव भी लगभग यही है।
ReplyDeleteसही विश्लेषण....
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