घुमड रहा है,
गुबार बन के कहीं,
अगर तू सच है तो,
ज़ुबाँ पे आता क्यों नही?
सच अगर है तो,
तो खुद को साबित कर,
झूंठ है तो,
बिखर जाता क्यों नहीं?
आईना है,तो,
मेरी शक्ल दिखा,
तसवीर है तो,
मुस्कुराता क्यों नहीं?
मेरा दिल है,
तो मेरी धडकन बन,
अश्क है,
तो बह जाता क्यों नहीं?
ख्याल है तो कोई राग बन,
दर्द है तो फ़िर रुलाता,
क्यों नही?
बन्दा है तो,
कोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?
बात तेरे और मेरे बीच की है,
चुप क्यों बैठा है?
बताता क्यों नहीं?
बन्दा है तो,
ReplyDeleteकोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?......
.......
कुछ तो नज़र आता है
वरना ये सवाल तू उठाता क्यूँ है
नहीं मानता खुदा
तो बंदा सोचके ही कुछ कहता क्यूँ नहीं
बहुत ही बढ़िया.. "खुदा है तो नज़र क्यों नहीं आता.." बहुत खूब..
ReplyDeleteबन्दा है तो,
ReplyDeleteकोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?
खूब कहा ...प्रभावित करती पंक्तियाँ....
बन्दा है तो,
ReplyDeleteकोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?
वाह, क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हैं ये !
क्यों नहीं ?
ReplyDelete"सच अगर है तो,
ReplyDeleteतो खुद को साबित कर,
झूंठ है तो,
बिखर जाता क्यों नहीं?"
excellent ....!!
सभी शेर एक से एक शानदार।
ReplyDelete@ "बात तेरे और मेरे बीच की है,
चुप क्यों बैठा है?
बताता क्यों नहीं?"
एक विनम्र नजरिया: If you could not understand my silence, how could have you understand my words? शायद इसीलिये बताता नहीं।
वाह! संजय जी वाह क्या नज़रिया है!
ReplyDeleteसच अगर है तो,
ReplyDeleteतो खुद को साबित कर,
झूंठ है तो,
बिखर जाता क्यों नहीं?
आईना है,तो,
मेरी शक्ल दिखा,
तसवीर है तो,
मुस्कुराता क्यों नहीं?
Kamaal kee panktiyaan hain!
http://shayaridays.blogspot.com
ReplyDeleteबन्दा है तो,
ReplyDeleteकोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं...
इंसान को
इंसान की अपनी तस्वीर दिखलाती हुई
स्पष्ट रचना . . . . !
Kya baat hai....aapne bade dinon se 'kavita' blog pe kuchh likha nahee?
ReplyDeleteMaii Kaun Hu Kya Hu Maaloom Nahi
ReplyDelete"" kabhi socha nahi jaana hi nahi
khud ko kabhii pehchaana nahi
kaun hu main kya hai meri hasti
apna wajood kabhi jaana hi nahi
kabhi hase to kabhi roye bahut..
zindagi me jaise kuchh apna nahi
Jisko bhi chaaha wo judaa ho gaya
mere liye shayad koii banaa hi nahi
maii kaun hu kya hu maaloom nahi
zindagi ka matlab bhi ab maloom nahi ""
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteवाह, क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteThis is very interesting, You're a very skilled blogger. I've joined your feed and look forward to seeking more of your magnificent post. Also, I've shared your website in my social networks!
ReplyDeleteसहयोगी Blog "कविता" पर आप सब ने फ़रमाया:
ReplyDeleteshama said...
Nihayat khoobsoorat! Bahut dinon baad aapne likha hai 'kavita' pe! Welcome! Welcome!
July 20, 2011 9:22 AM
knkayastha said...
बन्दा है तो,
कोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?
क्या बात है?
जवाब नहीं इस रचना का...
July 20, 2011 9:28 AM
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
आईना है,तो,
मेरी शक्ल दिखा,
तसवीर है तो,
मुस्कुराता क्यों नहीं?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
July 21, 2011 10:17 PM
दिगम्बर नासवा said...
बस ओःचान्ना ही मुश्किल होता है ... कभी कभी ये हमारा मैं ही होता है ... बहुत खूब ...
July 24, 2011 3:54 AM
सागर said...
bhaut sunder abhivaykti....
July 27, 2011 1:26 AM
बंद है तो कोई
ReplyDeleteउम्मीद मत रख
खुदा है तो
नजर आता
क्यों नहीं ?
हाँ बहुत लोगों के मन मैं ये सवाल आता है
बहुत ही बढ़िया पंग्तियाँ क्या बात है .