मेरी तिश्नगी ने मुझको ऐसा सिला दिया है,
बरसात की बूँदों ने ,मेरा घर जला दिया है।
मैने जब भी कभी चाहा, मेरी नींद संवर जाये,
ख्वाबों ने मेरे आके ,मुझको जगा दिया है।
मेरी किस खता के बदले,मुझे ऐसी खुशी मिली है,
मेरी आँख फ़िर से नम है,मेरा दिल भरा भरा है।
मै अकेला यूँ ही अक्सर, तन्हाइयों में खुश था,
तूने मेरे पास आ के, मुझको फ़ना किया है।
जो खुशी मुझे मिली है, इसे मैं कहाँ सजाऊँ,
कहीं जल न जाये दामन, मेरा दिल डरा डरा है।
मै अकेला यूँ ही अक्सर, तन्हाइयों में खुश था,
ReplyDeleteतूने मेरे पास आ के, मुझको फ़ना किया है।
waah... bahut badhiyaa
मेरी तिश्नगी ने मुझको ऐसा सिला दिया है,
ReplyDeleteबरसात की बूँदों ने ,मेरा घर जला दिया है।
मैने जब भी कभी चाहा, मेरी नींद संवर जाये,
ख्याबों ने मेरे आके ,मुझको जगा दिया है।
बहुत बढ़िया....
मैने जब भी कभी चाहा, मेरी नींद संवर जाये,
ReplyDeleteख्याबों ने मेरे आके ,मुझको जगा दिया है।
वाह, क्या शेर कहा है ... शुभानल्लाह !
e-mail से शमा जी (Shama K ) ने कहा:
ReplyDeleteगज़ब की रचना है! ब्लॉग पे कई बार कोशिश की मगर कमेन्ट पोस्ट नही हुआ!
जो खुशी मुझे मिली है, इसे मैं कहाँ सजाऊँ,
ReplyDeleteकहीं जल न जाये दामन, मेरा दिल डरा डरा है।
बहुत खूब
http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/05/happy-mothers-day.html
kshama sadhana Ji ने e-mail से कहा:
ReplyDeleteबेहतरीन शब्दों से सजी रचना!
ब्लॉग खुलते ही बंद हो जा रहा है...ब्लॉग पे कमेन्ट नही दे पा रही हूँ! माफी चाहती हूँ!
sundar gazal.. aur shbad chayan bhi anukool... achha laga aapke blog me aakar.. Sadar
ReplyDeleteवाह, क्या शेर कहा है|धन्यवाद|
ReplyDeleteजो खुशी मुझे मिली है, इसे मैं कहाँ सजाऊँ,
ReplyDeleteकहीं जल न जाये दामन, मेरा दिल डरा डरा है।
बहुत ख़ूब!
मर्ज ही ऐसा है साहब, जो दर्द है वही दवा है, इसीलिये ये सब हो रहा है।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है एक एक शेर।