ये सब हैं चाहने वाले!और आप?

Monday, May 16, 2011

शायद मेरी तनहाई आपको रास न आये!



आप, मेरी तन्हाई पे तरस मत खाना,

मैं तन्हा हूँ नहीं,
मेरे तमाम साथी
दर्द,दुश्मनों की दुआयें,
दोस्तों की बेवाफ़ाई,गम-ओ-रंज़,
मुफ़लिसी,और "सनम की याद"!

बस अभी अभी,
ज़रा देर पहले ही...

बस यूँ ही ज़रा..
निकले हैं,
ताज़ा हवा में सासं लेने के लिये,


अब आप ही बताओं,
ज़रा सोच कर!
"ताज महल" लाख,
खूबसूरत और हवादार हो!
"मकबरा" आखिर "मकबरा" होता है!
और ज़िन्दा "शै" वहाँ कितनी देर बिता,सकते है?


और  वो भी लगातार बिना,
इस अहसास के साथ,
के ज़िन्दगी चलती रहती है
बिना ,उनके अहसास के साथ भी,
जो ज़िन्दा नहीं हैं!!!!

ज़िन्दा रहने के लिये,
ज़रूरी है,"ताज़" की खूबसूरती,
’दर्द’, ’रंज़’,’गम’तो आते जाते हैं!
ये सारे के सारे ज़िन्दा हैं,
और मेरे साथ हैं!
बस अभी अभी ज़रा!!!
यूँ ही ज़रा..............

मैं तन्हा नहीं हूँ!

10 comments:

  1. सच में, तन्हा नहीं हैं आप।

    ReplyDelete
  2. अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ा, प्रदर्शन-कारियों रेलवे-ट्रैक तोड़ा, विकास-प्राधिकरण ने झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ा। हमारे नेताओं ने जनता का दिल तोड़ा। अनेक लोगों ने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अपने-अपने तरीके से बहुत कुछ तोड़ा है। तोड़ा-तोड़ी की परंपरा हमारे देश में सदियों पुरानी है। आपने कुछ तोड़ा नहीं अपितु माँ की रचनात्मकता से दिलों को जोड़ा है। इस प्रेम, करुणा और ममत्व को बनाए रखिए। भद्रजनों के जीवन की यही पतवार है। आपकी रचना का यही सार है। साधुवाद!
    =====================
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  3. तन्हा होके भी कितनो का साथ है...!!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  5. बहुत गहन बात कह दी है ताजमहल के माध्यम से ... सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  6. और वो भी लगातार बिना,
    इस अहसास के साथ,
    के ज़िन्दगी चलती रहती है
    बिना ,उनके अहसास के साथ भी,
    जो ज़िन्दा नहीं हैं!!!!

    बहुत खूब लिखा है.

    ReplyDelete
  7. "ताज महल" लाख,
    खूबसूरत और हवादार हो!
    "मकबरा" आखिर "मकबरा" होता है!
    और ज़िन्दा "शै" वहाँ कितनी देर बिता,सकते है?... शायद इसीलिए आगरा जाकर भी ताजमहल के सामने की सड़क पर होकर भी मुझमें ताजमहल को देखने की उत्सुकता नहीं हुई . बहुत ही अच्छी रचना

    ReplyDelete
  8. आपका ब्लॉग देख कर प्रसन्नता हुई। कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।

    ReplyDelete
  9. अद्भुत अभिव्यक्ति...!
    सचमुच... अकेले कहाँ हैं हम, हमारी तन्हाई साथ है हमारे, तमाम अव्ययों के साथ!

    ReplyDelete

Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.